आत्महत्या पर अमित शर्मा की रिपोर्ट

Sunday, 9 September 2012


AMIT SHARMA
एक अध्ययन के अनुसार भारत में युवाओं की मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण
आत्महत्या है । आत्महत्या करने वालों की सबसे बड़ी संख्या चीन की है जहाँ
औसतन दो लाख लोग हर साल आत्महत्या करते हैं । वहीं भारत में तकरीबन एक
लाख 90 हज़ार लोग आत्महत्या का शिकार होते हैं । जिनमे बड़ी संख्या मे
कॉलेज स्टूडैँटस या टीन एज के बच्चे होते हैं । आत्महत्या करने वाले बड़ी
संख्या में कीटनाशक का प्रयोग करते हैं । कीटनाशकों की सहज उपलब्धता को
प्रतिबंधित करने से भारत में आत्महत्या की दर को कम किया जा सकता है ।
युवाओं में आत्महत्या की ये प्रवृत्ति उत्तर भारत की बजाय दक्षिण भारत
में कहीं ज्यादा मिलती है । एक रिपोर्ट में पता चला है कि वर्ष 2010 में
करीब एक लाख 87 हजार लोगों ने आत्महत्या के जरिए मौत को गले लगाया था ।
इस दौरान आत्महत्या करने वाले करीब चालीस प्रतिशत युवक 15 से 29 वर्ष के
बीच की उम्र के थे । जबकि इसी उम्र की युवतियों का प्रतिशत 56 था ।
इसके पीछे कुछ हद तक लोगों की बदलती मानसिकता और परिस्थितियाँ और फिर उन
परिस्थितियोँ मे खुद को एडजस्ट न कर पाना भी मुख्य कारण है । पीयर प्रैशर
जो मानसिक तनाव का आरंभिक बिंदु है और जिसका अंत इस खतरनाक मोड़ पर होता
है, यह भी इसका एक मुख्य कारण है । आज का प्रतिस्पर्द्दात्मक माहौल इसका
मुख्य कारण है । वही अभिभावकों को चाहिए कि वे हर बात के सकारात्मक पक्ष
को भी सोचें । अगर बच्चा कोई डिमाँड करे तो इसका मतलब यह नही होता कि
उसकी हर जरूरत और फैसला बेकार होते हैं । हो सकता है कुछ हद तक उनकी माँग
जायज न हो लेकिन हर समस्या का एक हल होता है जिसके ढूँढने के लिए सोच का
सकारात्मक होना जरूरी है । आवेश मे फैसला मत ले, इसका परिणाम हमेशा
नुकसानदायक होता है । वही बच्चों को भी चाहिए कि वे दूसरों को देखकर उनका
अनुकरण न करें । अपने अंदर की प्रतिभा को पहचाने । और उसको मुर्त रूप
देने के लिए हर संभव कोशिश करे ।

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