Randhir Batsh
देहरादून । गंगा नदी का उद्गम गोमुख नहीं, बल्कि कैलास मानसरोवर है। कैलास मानसरोवर के नीचे कई झरने हैं, जिनका पानी पहाड़ों के नीचे होते हुए गोमुख तक पहुंचता है। इसी स्रोत से होता है गंगा नदी का जन्म।
इस बात का रहस्योद्घाटन विज्ञान नीति के प्रोफेसर रहे धीरेंद्र शर्मा के अध्ययन में हुआ। उनके अध्ययन के आधार पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग [आइआइआरएस] ने मानसरोवर व गोमुख के बीच पानी के जुड़ाव की मैपिंग भी की। गंगा के नए उद्गम की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी गई है।
प्रोफेसर धीरेंद्र शर्मा के मुताबिक, कुछ साल पहले गंगोत्री तक बर्फ ंथी, जिससे लोग गोमुख नहीं पहुंच पाते थे। अब गोमुख के आसपास पहुंचा जा सकता है। गोमुख को देखने पर यह तो लगता है कि गंगा का पानी वहां से बाहर आ रहा है। मगर, वैज्ञानिक आधार पर इस मामले में कई सवाल थे। इनका जवाब तलाशने के लिए प्रोफेसर शर्मा ने गोमुख क्षेत्र का गहन अध्ययन किया। जिस तरह से गोमुख की चट्टानों से पानी निकल रहा था, उससे आभास हुआ कि इसका स्रोत कहीं और ही है। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि गंगा का स्रोत मानसरोवर से जुड़ा हो सकता है। इसके बाद आइआइआरएस ने पूरे क्षेत्र का भूगर्भीय नक्शा तैयार किया। इससे साफ हो गया कि करीब 65 मील लंबी कैलास मानसरोवर झील के नीचे 200 के आसपास झरने हैं, जिनका पानी चट्टानों के नीचे से होते हुए गोमुख में निकल रहा है। प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि गोमुख सिर्फ गंगा का मुख है। गंगा का मुख्य उद्गम कैलास मानसरोवर के नीचे के झरने हैं। नए अध्ययन की रिपोर्ट वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के साथ योजना आयोग को भी भेजी गई है।
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