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Randhir Batsh
नई दिल्ली। यदि खाते में पर्याप्त रकम नहीं है और आप किसी को चेक देने के बारे में सोच रहे हैं तो सावधान हो जाएं। चेक बाउंस होने पर आपके खिलाफ एक नहीं दो मुकदमे चल सकते हैं। एक तो चेक बाउंस होने का और
दूसरा धोखाधड़ी करने का। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि दो मुकदमों की सुनवाई दोहरे खतरे के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करते।
दूसरा धोखाधड़ी करने का। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि दो मुकदमों की सुनवाई दोहरे खतरे के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करते।
न्यायमूर्ति बी एस चौहान और जे एस खेहर की पीठ ने गुजरात के रहने वाली संगीताबेन महेंद्रभाई पटेल की अपील खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी है। संगीताबेन ने गुजरात के पाटन स्थित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित धोखाधड़ी और विश्वासघात के मामले को खारिज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। वह सुप्रीम कोर्ट इस तर्क के साथ पहुंची थी कि दोहरे खतरे के सिद्धांत के मुताबिक, एक ही अपराध के लिए उस पर दो बार मुकदमा नहीं चल सकता। संविधान के अनुच्छेद 22 और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 300 में प्रावधान किया गया है कि एक ही अपराध के लिए किसी व्यक्ति को दो बार सजा नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अपील खारिज करते हुए कहा कि यह सिद्धांत किसी अपराध के मामले की सुनवाई पर रोक नहीं लगाता। यह केवल उन सुबूतों से किसी सचाई को साबित करने से रोकता है जिनका इस्तेमाल पहले किसी आपराधिक मामले की सुनवाई में हो चुका है।
वर्ष 2003 में 20 लाख रुपये का चेक बाउंस के मामले में संगीताबेन को निचली अदालत ने खरीद-फरोख्त दस्तावेज [एनआइ] कानून के तहत दोषी करार दिया था। जिसे चेक दिया गया था उसने 6 फरवरी 2004 को पुलिस के पास भी शिकायत दर्ज कराई थी और संगीता बेन पर विश्वासघात व धोखाधड़ी का आरोप लगाया था।
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