नई दिल्ली.सरकार ने डीजल के दाम बढ़ाने के साथ ही प्रीमियम पेट्रोल और डीजल के दाम में भी इजाफा कर दिया है। लेकिन क्या यह वास्तव में इतना 'प्रीमियम' है कि इस पर अधिक राशि खर्च की जाए? विशेषज्ञों की मानें तो इस पर अधिक राशि खर्च करना खुद को बस इतनी तसल्ली देना है कि हम बेहतर पेट्रोल-डीजल उपयोग कर रहे हैं। म
तलब साफ है कि सिर्फ मन की तसल्ली के लिए आप प्रति लीटर पेट्रोल और डीजल पर करीब 10 से लेकर 20 रुपये प्रति लीटर तक अधिक चुका रहे हैं। ओएनजीसी के पूर्व सीएमडी आरएस शर्मा कहते हैं कि यह बस मन को तसल्ली देने की बात है। अगर बहुत फर्क होता है तो कुछ एक प्वाइंट गाड़ी ज्यादा चल जाती है। शर्मा के अनुसार 'दरअसल प्रीमियम ब्रांड के तहत पेट्रोल-डीजल की बिक्री लोगों की भावना के आधार पर की जाती है। लोग यह समझते हैं कि वे कुछ प्रीमियम खरीद रहे हैं। बस यही भावना इनकी बिक्री का आधार है।' पेट्रोलियम एवं ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा की राय भी कुछ ऐसी ही है। वे कहते हैं कि यह स्टेटस सिंबल की तरह उपयोग किए जाने वाले प्रोडेक्ट हैं। इसमें प्रीमियम जैसी कोई बात नहीं होती। आपकी गाड़ी की माइलेज में ऐसा कोई अंतर नहीं आता है कि आप वास्तव में बचत कर पाएं। तनेजा ने कहा, 'एक लीटर पर अगर 15-20 रुपए अधिक खर्च कर कुछ प्वाइंट की माइलेज ही बढ़ती है तो इस पर क्यों खर्च किया जाए।'
उन्होंने कहा कि असल में इस प्रोडेक्ट में कुछ आयातित रसायन डाले जाते हैं। उससे इंजन तेजी से कार्य करता है, लेकिन पेशेवर मैकेनिक या गाड़ी निर्माता कंपनी ऐसे पेट्रोल-डीजल के उपयोग से मना भी करते हैं। इसकी वजह यह है कि इससे इंजन पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता है। इंडियन ऑयल के एक अधिकारी ने कहा कि उस समय प्रीमियम पेट्रोल-डीजल वास्तव में प्रीमियम था जब इसमें लेड डाला जाता था। लेकिन आज के समय में ऐसा कोई बड़ा अंतर नहीं है।
Source: Dainik Bhaskar
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