VINAY ARYA
भारतीय दंड विधान संहिता यानी आईपीसी की धारा 124 (ए) के मुताबिक कोई भी व्यक्ति जो अपने शब्दों, इशारों या किसी भी तरह से सरकार के खिलाफ नफरत या अवमानना फैलाएगा, उसे देशद्रोह का गुनहगार मानते हुए कार्रवाई की जा सकती है। इसके तहत उम्रकैद तक की सजा दी जा सकती है।
अंग्रेजों ने 1857 में स्वतंत्रता की पहली लड़ाई के तीन साल बाद 1860 में बनाया गया था। अंग्रेजों ने इस कानून को अपने खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाने के लिए बनाया था, यानि अब ये कानून 152 साल पुराना हो चुका है गांधी और तिलक को देशद्रोही बताने के लिए अंग्रेज़ो ने इशी कानून का सहारा लिया।
भारतीय दंड विधान संहिता यानी आईपीसी की धारा 124 (ए) के मुताबिक कोई भी व्यक्ति जो अपने शब्दों, इशारों या किसी भी तरह से सरकार के खिलाफ नफरत या अवमानना फैलाएगा, उसे देशद्रोह का गुनहगार मानते हुए कार्रवाई की जा सकती है। इसके तहत उम्रकैद तक की सजा दी जा सकती है।
इन दिनों भ्रष्टाचार के खिलाफ आम लोग सड़कों पर आकर तरह-तरह से अपनी भावनाएं जाहिर कर रहे हैं। अगर इस कानून का सहारा लिया जाए, तो ऐसे सभी लोगों को जेल में डाला जा सकता है। कोल ब्लॉक आवंटन में तो सरकार के साथ साथ प्रधानमंत्री पर भी सीधे आरोप लग रहे हैं। ऐसे में अब इस कानून में बदलाव की जरूरत और ज्यादा हो जाती है।
आजादी के साठ साल बाद भी हम अंग्रेजों के बनाए आईपीसी को ढो रहे हैं। सवाल है कि आखिर कब तक?
आजादी के साठ साल बाद भी हम अंग्रेजों के बनाए आईपीसी को ढो रहे हैं। सवाल है कि आखिर कब तक?
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