POSTED BY - VINAY ARYA
आगरा के एसपी ट्रेफिक अपने जूते का फीता भी अपने मातहतसिपाहीयों से बंधवाते है
कभी मायावती मुख्यमंत्री रहते हुए एक पुलिस अधिकारी से अपनी जूती साफ
कराती हैं तो कभी
पुलिस का एक अफसर किसी नेता के सिर व गले पर अपना बूट रखकर उसे कुचलता
है. कभी कोई सीओ किसी लाश को अपने जूते के नोट से ठोंक कर पलट देता है तो
कभी कोई एसपी ट्रैफिक अपने अधीनस्थ पुलिसकर्मी से अपने जूते का फीता
बंधवाता है.
ये घटनाएं क्या बताती हैं? ये कि हम लोग अभी डेमोक्रेटिक व रेशनल कतई
नहीं हुए हैं. दिमाग के स्तर पर उसी सामंत काल में जी रहे हैं, जिससे
विकसित देशों ने पीछा जाने कबका छुड़ा लिया है. पर हम इक्कीसवीं सदी में
आने के बाद भी पद, वर्दी, कुर्सी मिलते ही खुद को नवाब साहब मान लेते हैं
और अपने से नीचे वालों को कीड़े मकोड़े. देखिए इस तस्वीर को.
मित्रों, एक सर्वे मे खुलासा हुआ है कि कर्मचारियों, सिपाहियो, आदि वर्ग
३ के कर्मचारियों के घरों मे घरेलू झगड़े बहुत होते है .. उसका कारण ये
पाया गया है कि ये लोग अपने उपर के साहबो से तंग आकर उसका गुस्सा और खीज
अपने घरों मे अपनी बीबी बच्चों पर निकलते है |
अब आप खुद ही सोचिये कि अब ये सिपाही शाम को घर जाकर अपने मन का भडास,
गुस्सा और टीस अपने बीबी और बच्चो पर उतरेगा ही !
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