सौरभ कुमार, बिहार
यूं तो सरकार के समक्ष कई महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं। जैसे सड़क, बिजली, पानी, अपहरण, विधि व्यवस्था आदि और सरकार इन सबको दूर करने का भी प्रयास कर रही है। जिससे एक सुंदर और सुविधाओं से परिपूर्ण समाज का निर्माण किया जा
सके लेकिन इन समस्याओं से भिन्न एक ऐसी समस्या है जिसपर सरकार की नजर पड़ रही है।
बिहार एक पर्यटन स्थली है। दूर-दूर से यहां पर्यटक घूमने आते हैं। आज के बदलते दौर में इन स्थलों के आस-पास भिखारियों का तांता लगा रहता है। अन्य देशों से आए पर्यटक यहां की हर खूबसूरत जगहों की फोटो खींचकर ले जाते हैं। जिसमें भिखारियों का फोटो बड़े ही उत्सुकता से खींचते हैं। इससे भारत देश की छवि अन्य देशों में क्या बनती होगी, यह तो आप सरल अनुमान लगा सकते हैं। एक तरफ सरकार इन पर्यटन स्थलों को सुंदर और सुसज्जित करने की बात करती है, वही दूसरी तरफ इन कुकृतियों को दूर करने का प्रयास विफल नजर आ रहा है। समस्या भिखारियों से नहीं है। समस्या यह है कि आखिर में क्यों बनते हैं भिखारी? जो सरकार के समक्ष एक अहम चुनौती है। कौन दिलाएगा इन्हें समाज में बराबरी का अधिकार? न तो हमारे देश में राजनेताओं को फुर्सत है और न ही स्वयंसेवी संस्था के पास समय है।
भारत के हर कोने में जहां-जहां धार्मिक या पर्यटन स्थल स्थित हैं, वहां धड़ल्ले से इस प्रकार की कुकृतियां पनप रही हैं। आज भी हमारे समाज में ऐसे लोग हैं, जिन्हें दो वक्त की रोटी नहीं मिल पाती। जब पेट की आग इंसान को सताती है तो हर बुरा कर्म करने को तैयार हो जाता है। बस उनके सामने एक ही रास्ता नजर आता है भीख मांगना। कहीं न कहीं रोटी, कपड़ा मकान उन्हें मजबूर करता है भीख मांगने के लिए। सरकार ने गरीबों के लिए पीला कार्ड, लाल कार्ड, जॉब कार्ड, इंदिरा आवास, वृद्धा पेंशन जैसे अनेक योजनाओं को क्रियान्वित किया है। लेकिन इन भिखारियों के लिए सरकारी लिस्ट में कोई योजना नहीं है और न ही सरकार की ओर से इन्हें किसी भी प्रकार की सुविधा मुहैया भी नहीं कराई है। कुछ लोग ऐसे भी समाज में हैं जो आलसी प्रवृत्ति के हैं, उनके लिए भीख मांगना एक व्यवसाय है। अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए वे लोग छोटे-छोटे बच्चों को इस कुकृत्य में धकेल रहे हैं। बस जरूरत है एक कदम बढ़ाकर इनके लिए कुछ कर गुजरने का। जिससे इनका जीवन भी आम लोगों की तरह खुशहाल और आनंदमय बन जाए। नि:संदेह किसी भी समाज के लिए यह कुकृत्य कलंक है। इनके लिए आवाज उठाने की जरूरत है। ऐसे लोगों में जो असली भिक्षु हैं, उन्हें चिन्हित कर पूर्ण विस्थापित करने की व्यवस्था की जाए, जो इसे धंधा बनाए हुए हैं। उन्हें कठोर दंड देने का प्रावधान किया जाए। जो लोग मानसिक विकृत्ति के कारण भीख मांगते हैं उनका सही इलाज करवाने का सरकारी स्तर पर प्रयास किया जाए। यह कटु सत्य है कि आज आजादी को ६३ साल बीतने को है परंतु किसी भी दल के किसी नेता ने समाज बदलाव की राजनीति न करके सत्ता की राजनीति कर रहे हैं। जब तक लोगों में इस कुकृत्य का अंत नहीं होगा, लोग इसी तरह अंधेरे में भटकते रहेंगे।
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