आस्था का मेढंक मंदिर

Tuesday, 16 October 2012



गोपाल गिरी 
गोपाल गिरी   --- लखीमपुर खीरी जिले का कस्बा ओयल अपनी विशेषता के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है/ पीतल की नगरी कही जाने  वाली इसकी धरती जो तंत्र विद्या पर आधारित प्राचीन मेढक मंदिर को भी अपने आगोश में समेटे हुए है / १५७७ ई. में राजा बखत सिंह के द्वारा बानाया गया यह मंदिर जिसके निर्माण ने सैकड़ो तांत्रिक वास्तुशास्त्री और कुशल जानकार लगे हुए थे / नर्मदा नदी  से प्राप्त शिव लिंग जिसकी प्राण प्रतिस्था और स्थापना यहाँ पर की गई थी / पांच सौ फूट पर रखे इस शिव लिंग की खासियत यह है कि दिन के तीन पहर में ये अपना रंग बदलता है साथ ही मंदिर के शीर्ष पर लगी नटराज की मूर्ती सूर्य की दिशा में अपना रुख बदलती रहती है /मेढक के विशाल आकार पर बना यह मंदिर जिसकी ऊँची ऊँची मीनारों पर सभी  देवता विराजमान है साथ ही उनके ताखे बने हुए है जो आवाहन के बाद देवताओं के विश्राम करने के लिए बनाए गए थे / यही नहीं मंदिर को बनाने में प्रयुक्त   किया गया मसाला और साजो सामान सभी तंत्र द्वारा मंत्रित करने के बाद लगाया गया है/यहाँ पर विशाल मंदिर जो आज जानकारों के लिए अनसुलझी  पहेली बनी हुई है  /
वी ० १---  राजा बखत सिंह द्वारा बनाया गया कई  सौ साल पुराना  विशाल तांत्रिक  मेढक मंदिर जो अपने आप में वास्तु शास्त्र की अनूठी निशानी है / मदिर के पांच सौ फुट की उचाई पर बना कुआ जिसका पानी एक झील से जोड़ा गया है ताकी भोले शंकर के भक्तो  के लिए कभी यहाँ का पानी कम ना हो /यहाँ पर स्थित प्रत्येक कलाकृति बेजोड़ और अलग है जिसे समझने में बड़े से बड़े विद्वान् भी चकरा जाते है / मंदिर की प्रसिधी को देखते हुए यहाँ भारत भर से महान तांत्रिक अपनी तंत्र साधना के लिए यहाँ पहुचते है / वर्ष भर लगने वाला स्राधालुओ का तांता यहाँ लगा रहता है / यहाँ पर मौजूद कामधेनु गाय की प्रतिमा अनूठी है जो विश्वविख्यात कालेश्वर मंदिर के बाद यहाँ ओयल कसबे के मेंढक मंदिर में देखने को मिलती है / राजा बखत सिंह के वंशज प्रधुम्न दत्त सिंह ने इस मंदिर पर शोध करने के लिए वास्तुशात्र के जानकारों की टीम बुलाई है जिससे निकलने वाली रोचक जानकारिया किताबो के माध्यम से जन जन तक पहुचेगी / विश्वविखात तांत्रिक मंदिर से जुडी पर्यटन की संभावनाए आने वाले दिनों में इसकी ख्याति में चार चाँद लगाएगी /

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