हमरे अॅंगने में कानून का क्या काम है

Friday, 26 October 2012



Manuj Gupta

      महिला सशक्तिकरण के नाम पर आज महिलाओं के हाथ में केवल अधिकारों से लैस कानूनी तलवार थमाई जा रही है। यही कारण है उनके उत्थान के लिए बनाये जा रहे कानून की बजाय उनका उत्थान करने के उन्हें पतन के गर्त में अधिक ले जा रहे हैं।
       जबकि होना यह चाहिए था कि महिलाओं को उनकी दशा सुधारने हेतु सर्वप्रथम शैक्षिक व आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर बनाने के लिए उच्चस्तर पर सार्थक प्रयास किये जाते। जिससे वे भली प्रकार अपना भला-बुरा सोचने-समझने के तालमेल से परिवार को जोड़कर रखने की दिशा में सार्थक प्रयास करती।

चूॅंकि पारिवारिक जीवन की नाव कानूनी दाॅंव पेंचों से नहीं चलती, वह अधिकार व कर्तव्य के संतुलन से चलती है और यह संतुलन स्त्री-पुरुष दोनों के लिए आवश्यक है। वैसे भी यह धु्रव सत्य है कि इन्सानी रिश्ते दिल से बनते हैं कानून के खौफ या ताकत से नहीं।
किन्तु वर्तमान में स्त्री अधिकारों से लैस ये काले पारिवारिक कानून पुरुषों के मन में आतंक व असुरक्षा की भावना पैदा कर रहे हैं। इससे जहाॅं एक ओर विवाह जैसे पवित्र संस्कार से दूर ‘‘बिना विवाह के साथ रहने’’ (¼Live in Relationship½ की प्रवृत्ति बढ़ रही है वहीं दूसरी ओर माॅं, बहन, बेटी, पत्नी जैसे जीवनदायी पवित्र रिश्तों का आधार स्त्री के प्रति उसके मन में नफरत क्रूरता व प्रतिशोध की भावना घर कर रही है।
यही कारण है कि आज स्त्री सुरक्षा व सशक्तिकरण के नाम पर पहले से मौजूद व वर्तमान में भी नित-नये बनते कानूनों के बावजूद स्त्री और भी अधिक असुरक्षित असहाय व अकेली हो गयी है, फिज़ा का उदाहरण उल्लेखनीय है।
तो आइए, हमारे साथ मिलकर INDIA AGAINST LEGAL TERRORISM की विचारधारा 'OFF THE COURT' के माध्यम से परिवारों को कानूनी आतंकवाद से मुड़कर प्यार, विश्वास व अपनेपन की खुशबू से सराबोर कर बसाने में हमारी महत्ववपूर्ण कोशिश एवं आन्दोलन में हमारा साथ दीजिए।
प्रेसक्लब में हुए इस कार्यक्रम में श्रीमती बख्शी सहित श्री दाऊ जी गुप्ता (पूर्व महापौर, लखनऊ), न्यायमूर्ति श्री हरिनाथ तिलहरी, डाॅ0 आभा अवस्थी (अवकाश प्राप्त प्रोफेसर) समाजशास्त्र, लखनऊ वि0वि लखनऊ, डाॅ0 लक्ष्मी रस्तोगी (परिवार परामर्श केन्द्र, एडवोकेट) ने घरेलू हिंसा अधिनियम के दुरुपयोग का अपराध सिद्ध होने पर कड़े से कड़े दण्ड का प्रावधान होने की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि कोर्ट को इस बात की पहल करनी चाहिए कि दम्पति के झगड़ों सर्वप्रथम उनके परिवार के वयोवृद्ध जनों के तालमेल से ही केस को कोर्ट के बाहर सुलझा लिया जाए जिससे धन, समय, बच्चों का भविष्य एवं पारिवारिक शान्ति बनी रहेगी। परिवार की कन्याओं में भावी वधू के कर्तव्य का बोध, सामंजस्य की भावना एवं सुसंस्कार माताओं के द्वारा दिये जाने चाहिए।
पारिवारिक मसले कानून की धार से कभी नहीं सुलझते। अनुभवी व कुशल समाज सेवी सलाहकारों के नेतृत्व में बहुतायत से सुलह व समझौता केन्द्र बनाये जाने चाहिए क्योंकि एकल परिवारों की बढ़ती संख्या (दूर-दूर नौकरी के कारण) अधिकतर परिवारों में बड़े बुजुर्ग रह नहीं गये हैं। अतः छोटी सी समस्या प्रायः समझदारी व धैर्य के अभाव में बड़ा रूप लेकर कोर्ट की चैखट तक पहॅंुच पाती है। कोर्ट की चैखट पर ही रोककर यदि उन्हें समझौता केन्द्र में पहले भेजा जाये तो 90 प्रतिशत मामले बिना कानूनी दाॅंव-पेंच के सुलझ जायेंगे।
न्यायमूर्ति श्री हरिनाथ तिलहरी द्वारा कानूनी आतंकवाद का घड़ा फोड़कर इसके अन्त होने की कामना की। अनुज की कहानी एक लघु नाटिका का दामन टीम द्वारा मंचन किया गया है जिसमें छोटी सी खटपट किस तरह पति-पत्नी को कानूनी दाॅंव-पेंच में फॅंसाकर उनका जीवन बर्वाद कर देती है इस पर प्रकाश डाला गया। इसके अलावा ‘प्यार के सिक्कों से महीने का खर्चा चले’ समूह गान आॅफ द कोर्ट के वाॅलण्टियर्स द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिनमें प्रमुख नाम हैं-शाश्वत, अल्तमस, प्रिया, प्रियंका, दिलीप, अरुनिता, निधि, प्रगति आदि। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम के अन्त में समाज के प्रतिष्ठित एवं अनुभवी बुजुर्गों को सम्मानित किया गया जिनके नाम हैं-
श्री ईश्वर शरण श्रीवास्तव, श्री किशन मूलवानी, श्री कृष्ण चन्द्र खन्ना, श्री अशोक जैन, श्री रघुवीर सिंह, श्री शिवप्रसाद दीक्षित, श्री नवी मंसूरी, श्री हरिशंकर अवस्थी एवं कार्यक्रम में यक्ष (‘‘पति-परिवार’’ कल्याण समिति), मनुज गुप्ता (दामन), ने अपने विचार रखे अनाड़ी ने अपनी कविताओं से सबका मन मोह लिया।
अन्त में आये हुए अतिथियों को डाॅ0 इन्दु सुभाष ने धन्यवाद देकर के कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।

सहयोगी संस्थायें:                                                                      
1.     पति परिवार कल्याण समिति
2.     दामन (कानपुर)                                            
3.     पहल (कानपुर)                                                
4.     भव्य फाउन्डेशन (रायबरेली)                      
5.     सेव इण्डियन फैमिली (दिल्ली)  

0 comments:

Post a Comment

रफ़्तार 24 न्यूज़