डेंगू ने ली मासूम की जान

Tuesday, 30 October 2012


गोपाल गिरी]लखीमपुर खीरीजिले में जानलेवा डेंगू का खौफ लोगांे को सताने लगा है। बदलते मौसम के साथ डेंगू अपने पांव पसारने लगा है। प्राइवेट डाक्टरांे के अनुसार जिले में डेंगू की जांच की सुविधा उपलब्ध न होने के कारण कई मरीजों को लखनऊ इलाज के लिये भेजा गया है। गोला के मोहल्ला मुन्नूगंज के सत्यप्रकाश की 6 साल की बच्ची रीमा की डेंगू से मौत हो चुकी है। हालांकि सीएमओ डा0 एन0एल0 यादव डेंगू से किसी की भी मौत से इंकार कर रहे है। जिले में डेंगू को लेकर कागजी हकीकत कुछ और है जबकि जमीनी हकीकत कुछ और। जहां एक ओर डेंगू को लेकर जनमानस में दहशत है। वहीं स्वास्थ्य महकमा आंख मूंद कर सोता नजर आ रहा है। गौरतलब है कि डेंगू का सबसे ज्यादा प्रकोप अक्टूबर और नवम्बर में होता है। दिसंबर मंे ठंड बढ़ने के साथ ही इसके बैक्टीरिया निष्क्रिय हो जाते है। एडीज नामक मच्छर से ही यह बीमारी होती है। सूत्रों के अनुसार जिले में डेंगू की जांच के लिये कोई सुविधा नहीं है। शासन स्तर से जांच के लिये जिला अस्पताल में दवाएं तो भेजी गई लेकिन एलाइजा किट नहीं आई। दवाएं खराब हो रही है। जिले में डेंगू का सबसे ज्यादा प्रकोप वर्ष 2006 में रहा। 28 लोग इस बीमारी की चपेट में आए थे। वर्ष 2010 में डेंगू से एक रोगी की मौत भी हुई थी। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस बार अब तक इसका कोई रोगी नहीं मिला है। जहां एक ओर सीएमो डा0 एनएल यादव का कहना है कि अभी तक जिले में कोई भी डेंगू का मरीज नहीं है। वहीं नगर के प्रतिष्ठित चिकित्सक डा0 रमेश मेहरोत्रा का कहना है कि उनके पास दो-तीन मरीज डेंगू के आ चुके है। जिनको उन्हांेने लखनऊ इलाज के लिये भेजा है। सवाल यह उठता है कि स्वास्थ्य विभाग आखिर कब तक जिले में डेंगू के मरीज नहीं होने से इंकार करता रहेगा और लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करता रहेगा।

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