कुछ लोग इश्क को जिम्मेदार ठहराते हैं तो कुछ लोग आशिकों को गुनाहगार। कुछ लोग तो मोहब्बत को ही बदनाम करने पर तुले है क्योंकि उन्हें इश्क का असली मतलब नहीं पता। आज के जमाने के मजनुओं ने ना जाने इश्क का कौन सा सबक पढ़ लिया है कि बस खुद को इश्क का सबसे बड़ा ठेकेदार मान ख्याली लैला ढूंढकर किसी भी कीमत पर उसे हासिल करने निकल पड़ते हैं। फिर चाहे वो लैला बंदूक के बल पर ही क्यों ना मिले। मोहब्बत के कसीदें पढ़ने वाले यह सिरफिरे पंडित को इश्क का ककहरा भी नहीं आता।ये कमबख्त इश्क ना जाने कितनों की जिंदगियां बर्बाद करेगा। कमाल के इश्क हो रहे हैं आजकल, आशिक जिनपर जान देने की बात करते हैं उन्हीं की जान ले रहे हैं। अगर कोई जबरदस्ती का जान (मोहब्बत) बनना नहीं चाहता, उसकी जान ले रहे हैं। जो उनकी जान के बीच में आ जाये उसकी जान ले रहे हैं। और तो और इकतरफा इश्क फरामते हुए इश्क को बदनाम कर रहे हैं और खुद अपनी जान भी ले रहे हैं। जी हां दिल वालों की दिल्ली को आजकल दिलजलों की नजर लग गई है। शहर में आशिकों की एक ऐसी खेप आ गई है जिसने मोहब्बत के मायने ही बदल दिये हैं। नये जमाने के आशिकों में इश्क का मतलब अब सिर्फ और सिर्फ पाना ही रह गया है और वो भी किसी भी कीमत पर। इनका फंडा सीधा है कि मेरी नहीं तो किसी की भी नहीं। और बस इसी फंडे के चक्कर में इश्क के सफेद दामन पर खून की लाल छीटें पड़ रही है।
अभी पिछले सिर्फ 20 दिनों की बाते करें तो 10 जाने कुर्बान हो गई है और अभी कुर्बानी का यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। कोई पिस्टल की नोंक पर शादी करने निकल पड़ा है तो किसी ने अकेले ही अपने लिये महबूबा छांट ली है। किसी ने महबूबा के इंकार करने पर चाकू की तेज धार करवा ली है तो कई महबूबा को ना पाकर उसकी मां बाप पर ही टूट पड़ा है। तो आईए सिर्फ एक घटना की बात करते हैं जिसमें इकतरफा इश्क में 6 खून हुए। बीते 4 सितंबर को एकतरफा प्यार में पागल एक सिरफिरे आशिक ने जमकर खूनी खेल खेली और 5 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद आशिक ने खुद को भी गोली मार ली। प्राप्त जानकारी के अनुसार हत्यारा रवि अपनी भाभी की छोटी बहन से प्यार करता था। मगर रवि और लड़की के घर वाले इस प्यार के खिलाफ थे। प्यार के अंजाम तक नहीं पहुंचने के बाद उसने पूरे परिवार का कत्ल कर दिया।
वहीं दिल्ली के स्वरुप नगर में 7 सितंबर 2012 को फिर कत्लेआम से दहल गई। स्वरूप नगर इलाके में कुछ देर तक गोलियां की आवाज गूंजी और फिर मौत का सन्नाटा पसर गया। दो सनकी आशिकों ने यहां खूनी खेल खेला। अपनी ही प्रेमिकाओं को अपने हाथों से गोली मार दी। एकतरफा प्यार में पागल इन दो लोगों ने कुल 6 लोगों को गोली मारी थी। इसके बाद खुद को भी गोली मार ली।
7 सितंबर को ही दिल्ली के खानपुर इलाके में भी फिर से यही मंजर सामने आया। जहां एकतरफा प्यार में 60 साल के बुजुर्ग जगत सिंह की हत्या कर दी गई। जबकि उनकी पत्नी प्रकाशो देवी को भी चाकू मारकर घायल कर दिया गया। इसके पहले कथित प्रेमिका की मां पर भी चाकू से कई वार किए गए। इस वारदात का मुख्य आरोपी इलाके की एक लड़का नीरज नागर है। नीरज खानपुर तिगड़ी इलाके की ही एक लड़की से एकतरफा प्यार करता था। कहते हैं इश्क नहीं आसां..एक आग का दरिया है और डूब कर जाना है... लेकिन दिल्ली के दिलजलों की जो तस्वीर हमने आपक सामने पेश की उसमें सिर्फ क्रोध की आग है जो लोगों को जलाती है... इसमें तड़प तो है लेकिन इस तड़प में दर्द है, चुभन है लेकिन मिठास नहीं है। जबकि प्यार का दर्द तो मीठा होता जिसे हर कोई चखना चाहता है। तो इस गु्स्से और जूनून को हम प्यार कैसे कह सकते हैं और जो प्यार नहीं वो तो गुनाह है और गुनाह माफ नहीं किया जा सकता।Source: one india
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