गाँधी जयंती पर रंधीर की रिपोर्ट

Monday, 1 October 2012


आज गाँधी जयन्ती है.....आजदेश गाँधी जयन्ती मनारही हैं......मनानीभी चाहिए......लेकिनक्या सिर्फ गाँधी जयंतीमना लेने से उनकीआत्मा को शांति मिलजाएगी......
क्या हमें ऐसानहीं लगाता है किमहात्मा गांधी के सपनों काभारत कहीं खो गयाहै? आज सत्य के नामपर झूठ और धोखाधड़ी अहिंसा के नामपर हिंसा और सत्याग्रहके नाम पर सिर्फस्वार्थ देखने को मिलताहैं.....आज कल तोगाँधी की टोपी तकको लोग अपना-अपनानाम दे रहें हैं.....गाँधीजी के पद चिन्होंपर चलकर जहाँ हमगरीबी हटाकर ग्रामविकास कादंभ भरते थे, वहींआज शहरी विकास केयत्न हो रहे हैं......धर्मकि आड़ में साम्प्रदायिकता का जहर फ़ैलरहा है और धार्मिकउन्माद से हिंसा कातांडव हो रहा है......जिसदेश में समाजवाद औरगरीबी हटाओं के नारेगूंज रहे थे, आजवही पूंजीवाद कोबढ़ावा दिया जा रहाहै और गरीब कोहटाने की साजिशें चलरहीं हैं.....हमारीस्वतन्त्रता और स्वावलम्बन कोविदेशी हाथों में बेचाजा रहा है.....क्यागाँधी जी ने भावीभारत की यही तस्वीरबनाई थी? ऐसा लगताहै कि आज भारतीयलोकतंत्र महज दिखावे भरके लिए है आजदेश की इस दशाको देख कर एकमहान कवि की कवितायाद रही है..........
कवियों ने कवी केकलम तक बेच डाला!
नेतओं ने गाँधी कीगाँधी गिरी तक बेचडाला!
मत पूछ क्या-क्याना बिका इस दुनियामें!
लोगों ने तो अपनेआँखों की शर्म तकबेच डाला!


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