मुफलिसी में पीतल के करवा

Friday, 2 November 2012


गोपाल गिरी। पीतल की नगरी कहा जाने वाला कस्बा ओएल जिसे छोटा मुरादाबाद भी कहा जाता था लेकिन अब यहाँ मुफलिसी है बेकारी है और चारो तरफ सन्नाटा है। करवा के त्यौहार में यहाँ बिकने वाला करवा जिसे लेने के लिए दूर दूर से लोग यहाँ आते थे लौर प्रदेश भर से इन कारवो की मांग पुरी करने में यहाँ के कारीगरों को दिन रात कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी वही अब एक्का दुक्का भट्ठी ही सुलगती दिखाई दे रही है। यहाँ के कारीगरों के पास बेशुमार काम लगा रहता था वही अब इनके हुनरमंद हाँथ सन्नाटे में सड़क के किनारे बर्तनों
की मरम्मत का काम कर रहे है। पीतल के बर्तनों का चोपट हो चुका कारोबार जिसके पीछे मुख्य कारण महँगा कच्चा माल बिजली की समस्या और परिवहन का अभाव जिसने इस रोजगार की कमर तोड़ कर रख दी है। महिलाओं का महत्वपूर्ण त्यौहार करवा जो बुरी तरह महंगाई की चपेट में है परम्पराओं के इस देश में जहा पीतल को शुभ और वैभव की निशानी माना जाता था महंगी हो जाने से लोगो ने चमचमाते स्टील के बर्तनों को तरजीह देनी शुरू कर दी लिहाजा इससे जुडे लोग बेरोजगार हो गए।
तराई के खीरी जिले में बहु बेटियों को उपहार में दिया जाने वाला पीतल का करवा जो अपनी अनोखी पहचान रखता था चांदी के बाद माध्यम वर्गीय परिवारों के लिए पीतल को चुना जाता था लेकिन महंगाई ने इनकी पसंद और जरूरतों पर विराम लगा दिया लिहाजा  आम जनता ने मिट्टी और स्टील के करवा को अपना तरजीह देनी शुरू कर दी। ओएल की सडको पर सजी दुकाने जहा पीतल से बना साजो सामान तो है लेकिन इसे खरीदने वाले लोग नदारद है /पुश्तैनी पीतल कारोबार से जुडे लोगो के पास मौजूद हु।

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