हत्यारोपी परिवार का हुक्का पानी क्यों नहीं हुआ बंद

Friday, 19 April 2013



-बिरादरी की पंचायत छोटी-छोटी बातों पर सुना देती है फरमान
-हत्या की रिपोर्ट दर्ज पर गिरफतारी नहीं, खुले घूम रहे सभी आरोपी
-पुलिस की भूमिका पर भी उठ रहे सवाल


मुरादाबाद। अमित कुमार

छोटी-छोटी बातों पर बिरादरी की पंचायत हुक्का पानी बंद करने यानि पूरे परिवार का समाज से बहिष्कार करने जैसे फरमान जारी कर देती है। लेकिन ठाकुरद्वारा क्षेत्र में हत्या जैसे सघन्य जुर्म में आरोपित परिवार को लेकर सभी लोग बिल्कुल चुप्पी साधे हुए हैं। धीमी आवाज में सभी को कहते सुना जा रहा है कि दोषियों को सजा मिलनी चाहिए, लेकिन खुलकर कोई भी सामने आने को तैयार नहीं है। वहीं घटना में पांच लोगों के खिलाफ हत्या की नामजद रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी कोई गिरफतारी नहीं हुई है। जिससे पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में आ गयी है। मृतका के मायके वाले लगातार आरोपियों को गिरफतार कर जेल भेजने की मांग कर रहे हैं। उधर हत्यारों के बीच चार मासूम बच्चों के जीवन पर भी खतरा मंडरा रहा है।
कई बार आपने देखा होगा कि मामूली सी बातों पर पंचायत बैठी और पूरे परिवार का सिरे से बहिष्कार कर दिया। मगर इधर को हालात कुछ ओर ही दिखाई दे रहे हैं। विवाहिता की हत्या के आरोपी परिवार को अब भी समाज में वही सम्मान मिल रहा है जबकि हत्या के अलावा परिवार का चरित्र भी संदेह के घेरे में है। लोग कानाफूसी करते दिख रहे हैं कि यह बहुत गलत है और दोषियों को सजा जरूर मिलनी चाहिए। लेकिन खुलकर सामने आने को कोई तैयार नहीं है। शायद पैसे का ताकत रखने वालें लोगों का खौफ यही होता है।
यह घटना है जनपद के ठाकुरद्वारा शहर के मुहल्ला फतहउल्लागंज की। यहां शकील अहमद नामक युवक ने अगवानपुर निवासी युवती नाजरीन से अपने अवैध सम्बंध बरकरार रखने के लिए अपने परिवार के साथ मिलकर अपनी पत्नी को जहर देकर मौत की नींद सुला दिया था। पैसे के बल पर मामले को दबाने की पूरी कोशिश की गई, लेकिन मृतका के भाइयों ने एड़ी चोटी का जोर लगा कर हत्या की रिपोर्ट दर्ज करा दी।
मामले में 19 अप्रैल को ठाकुरद्वारा पुलिस ने हत्यारोपी पति शकील, उसकी प्रेमिका नाजरीन, भाई हारून, बहन सलमा, बहनोई युसुफ के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली है। लेकिन अभी तक कोई भी गिरफतारी नहीं हुई है। जिससे पुलिस की भूमिका फिर से संदेह के घेरे में आ गयी है। यहां बता दें कि बीते सप्ताह भी पुलिस ने हत्या की रिपोर्ट दर्ज करने से साफ इंकार किया था। जब डीआईजी ने आदेश दिए तो मजबूरन पुलिस को रिपोर्ट दर्ज करनी पड़ी।
उधर मृतका के चार मासूम बच्चे हत्यारोपी परिवार में ही पल रहे हैं। जिनका भविष्य और जीवन अंधकार में ही दिखाई दे रहा है। बताया जा रहा है कि बच्चों ने भी स्वीवार किया था कि उनकी मां की हत्या उनके बाप ने की थी। फिर ऐसे परिवार के हाथों में ही बच्चों की परवरिश सौंपना कहां तक सही है। 
मामले को दबाने के प्रयास जारी हैं। लेकिन मीडियाकर्मियों ने मामले को जमकर उठाते हुए पुलिस प्रशासन की नींद उड़ा दी है। वहीं हत्यारोपी हारून ने कई मीडियाकर्मियों को भी रिश्वत देकर मामले को दबाने का प्रयास किया है।

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