Sunday, 18 November 2012

हज्ज के बाद कुछ वसीयतें



बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
मैं अति मेहरबान और दयालु अल्लाह के नाम से आरम्भ करता हूँ।
إن الحمد لله نحمده ونستعينه ونستغفره، ونعوذ بالله من شرور أنفسنا، وسيئات أعمالنا، من يهده الله فلا مضل له، ومن يضلل فلا هادي له، وبعد:

हर प्रकार की हम्द व सना (प्रशंसा और गुणगान) केवल अल्लाह के लिए योग्य है, हम उसी की प्रशंसा करते हैं, उसी से मदद मांगते और उसी से क्षमा याचना करते हैं, तथा हम अपने नफ्स की बुराई और अपने बुरे कामों से अल्लाह की पनाह में आते हैं, जिसे अल्लाह तआला हिदायत प्रदान करदे उसे कोई पथभ्रष्ट (गुमराह) करने वाला नहीं, और जिसे गुमराह कर दे उसे कोई हिदायत देने वाला नहीं। हम्द व सना के बाद %

हज्ज के बाद कुछ वसीयतें
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए है, तथा अल्लाह की दया अवतरित हो उस व्यक्तित्व पर जिसके बाद कोई ईश्दूत नहीं। इसके बाद:
अल्लाह की सबसे बड़ी अनुकंपा और अनुग्रह है कि उसने हमें सर्वश्रेष्ठ मानवता मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की उम्मत में से बनाया है, इस्लाम हमारा धर्म है, अल्लाह तआला का फरमान है %

]وَمَن يَبْتَغِ غَيْرَ الإِسْلاَمِ دِيناً فَلَن يُقْبَلَ مِنْهُ وَهُوَ فِي الآخِرَةِ مِنَ الْخَاسِرِينَ [ [آل عمران:85]

^^और जो व्यक्ति इस्लाम के सिवा कोई अन्य धर्म ढूंढ़ेगा, तो वह (धर्म) उस से स्वीकार नहीं किया जायेगा, और वह आखिरत में घाटा उठाने वालों में से होगा।’’ (सूरत आल-इम्रान: 85)
और कु़रआन हमारा संविधान है
﴿إِنَّ هَذَا الْقُرْآنَ يَهْدِي لِلَّتِي هِيَ أَقْوَمُ[الإسراء : 9]
^^निःसंदेह यह क़ुर्आन वह रास्ता दिखाता है जो सबसे सीधा है।’’ (सूरतुल इस्रा: 9).
और हमारे संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं।
﴿وإنك لعلى خلق عظيم﴾ [القلم : 4]
^^निःसंदेह आप महान स्वभाव (चरित्र) से सुसज्जित हैं।’’ (सूरतुल क़लम: 4).
और हमारा कि़ब्ला (दिशा) काबा है।
﴿وَحَيْثُمَا كُنْتُمْ فَوَلُّوا وُجُوهَكُمْ شَطْرَهُ [البقرة : 144].
^^और आप जहाँ कहीं भी हों, अपने चेहरे को उसी (यानी मस्जिदुल हराम) की दिशा की ओर फेरा करें।’’ (सूरतुल बक़रा: 144)
जी हा,ँ मेरे प्यारे भाई! मैं आप से सहमत हूँ कि यह अल्लाह तआला का शुक्रिया अदा करने की अपेक्षा करता है, और मैं अल्लाह सर्वशक्तिमान का शुक्रिया अदा करने के बाद आपके समक्ष उस व्यक्ति के लिए जो पवित्र स्थान से वापस आया है ये वसीयतें प्रस्तुत कर रहा हूँ, अल्लाह तआला से प्रार्थना है कि वह हमें इनसे लाभ पहुँचाए:
1. इस मुबारक कर्तव्य के पूरा करने पर अल्लाह तआला का आभारी होना। अल्लाह तआला का फरमान है %
﴿لَئِنْ شَكَرْتُمْ لَأَزِيدَنَّكُمْ  [ ابراهيم : 7]
^^यदि तुम शुक्रिया अदा करोगे तो अवश्य मैं तुम्हें अधिक प्रदान करूँगा।’’ (सूरत इब्राहीम: 7)
2. हज्ज को हमारे जीवन में परिवर्तन और बदलाव का बिंदु होना चाहिए। अल्लाह तआला का फरमान है %
﴿إِنَّ اللَّهَ لا يُغَيِّرُ مَا بِقَوْمٍ حَتَّى يُغَيِّرُوا مَا بِأَنْفُسِهِمْ   [الرعد : 11]
^^निःसंदेह अल्लाह किसी क़ौम की हालत नहीं बदलता जब तक कि वे ख़ुद न बदल लें उस स्थिति को जो उनके दिलों में है।’’ (सूरतुर् राद: 11)
3. लोग हज्ज से हदिया (यानी तोहफे तहायफ) के साथ वापस लौटते हैं जबकि वास्तव में हमें हिदायत (मार्गदर्शन) के साथ वापस लौटना चाहिए। अल्लाह तआाला का फरमान है %
﴿اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ [الفاتحة :6]  
^^हमें सीधा (सत्य) रास्ता दिखा।’’ (सूरतुल फातिहा: 6)
4- हम आस्था व श्रद्धा के एक व्यवहारिक शिविर से बाहर निकले हैं, अतः हमें चाहिए कि हमने जो कुछ सीखा है उस पर निरंतरता के साथ बने रहें। अल्लाह तआला का फरमान है %
﴿والعصر إن الانسان لفي خسر إلا الذين آمنوا وعملوا الصالحات وتواصوا بالحق وتواصوا بالصبر [العصر : 1-3]
^^ज़माने की क़सम निःसंदेह इंसान पूर्णतः घाटे में है, सिवाय उन लोगों के जो ईमान लाए और नेक काम किए, और (जिन्हों ने) आपस में एक दूसरे को सत्य (हक) की वसीयत की और एक दूसरे को सब्र करने की नसीहत की।’’ (सूरतुल अस्र: 1-3). 
5. आप इस बात को न भूलें कि:
  ﴿إِنَّمَا الْمُؤْمِنُونَ إِخْوَةٌ [الحجرات :10]
^‘निःसंदेह सभी मुसलमान भाई भाई हैं।’’ (सूरतुल हुजुरात: 10).
6. आप ने उन सुंदर दिनों में कितने बार ही अपने पालनहार व सृष्टा से प्रार्थना करते हुए अपने दोनों हाथों को उठाए हैं, तो इस प्रक्रिया को बंद न करें। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: ‘‘दुआ करना ही इबादत है।’’
7. आपका नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत का पालन करना और उसका लालसी होना बहुत अच्छी बात है, तो आपका अपने पूरे जीवनकाल में यही स्वभाव होना चाहिए। हदीसे क़ुदसी में है: ‘‘ . . . मेरा बंदा निरंतर नवाफिल (ऐच्छिक कामों) के द्वारा मेरी निकटता प्राप्त करता रहता है यहाँ तक कि मैं उससे मोहब्बत करने लगता हूँ . . .’’
8. आप अपने पालनहार के साथ अच्छा गुमान रखते हुए वापस लौटे हैं और आप अपने गुनाहों से उस दिन की तरह निकल चुके हैं जिस दिन कि आपकी माँ ने आपको जना था, तो आप अपने दिल के प्रकाश को गुनाहों के कीचड़ से न बुझायें।
9. शायद आप ने अपने पालनहार व सृष्टा से गुनाहों से पश्चाताप (तौबा) की प्रतिज्ञा की होगी तो अब आप उसकी तरफ वापस लौटने से बचें।
﴿رَبَّنَا لَا تُزِغْ قُلُوبَنَا بَعْدَ إِذْ هَدَيْتَنَا﴾ [آل عمران :8]
‘‘हे हमारे पालनहार! हमें हिदायत देने के बाद हमारे दिल टेढ़े न कर दे।’’ (सूरत आल-इम्रान: 8).
10. सबसे महान चीज़ जो आपको इस्तिक़ामत पर सुदृढ़ रख सकती है वह अल्लाह के मार्ग की तरफ लोगों को बुलाना है
﴿ وَمَنْ أَحْسَنُ قَوْلا مِمَّنْ دَعَا إِلَى اللَّهِ وَعَمِلَ صَالِحًا وَقَالَ إِنَّنِي مِنَ الْمُسْلِمِينَ [فصلت :33]
^^और उस से अधिक अच्छी बात वाला कौन है जो अल्लाह की तरफ बुलाये, नेकी के काम करे, और कहे कि मैं यक़ीनी तौर से मुसलमानों में से हूँ।’’ (सूरत फुस्सिलत: 33).
मेरे हाजी भाई ! हज्ज से वापस आने के बाद आप अपने दिल से पूछें कि क्या कुछ थकावट बाक़ी रह गई है ?
निःसंदेह आपका यही उत्तर होगा कि नहीं।
इसी तरह दुनिया के जीवन में हम अल्लाह के लिए थकावट और परेशानी उठातें है अतः वह इसके बाद हमें ऊँचे बागों में अनन्त आराम प्रदान करेगा जहाँ आप कोई व्यर्थ व बुरी बात नहीं सुनेेंगे। हम अल्लाह तआला से उसकी अनुकंपा और कृपा का प्रश्न करते हैं।   

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