बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्वोत्सव विजय दशमी 24 अक्टूबर को परंपरागत ढंग से मनाए जाने की सभी तैयारियां मंगलवार को पूर्ण कर ली गई थीं। कहीं 55 तो कहीं 35 तो कहीं 25 फिट के रावण के पुतले का निर्माण भी लगभग पूरा हो गया है। हर साल की तरह श्रीराम और रावण के बीच होने वाले संग्राम के मंचन की लीला देखने हजारों की संख्या में लोग दोपहर में जुटने लगेंगे। शाम चार बजते-बजते श्रीराम की सेना और लंकेश के सैनिकों के बीच महायुद्ध की लीला के प्रदर्शन के लिए परंपरागत मंच से हट कर अलग से रचना की गई है। मेले में तरह-तरह के खिलौनों की बिक्री तो होती ही है साथ ही पान खाने और मिठाई खाने खिलाने की परंपरा का भी निर्वाह किया जाएगा। मान्यता के अनुसार दशमी के दिन जो पान का सेवन नहीं करता उसके दांत में विष व्याप्त हो जाता है। यहीं वजह है कि छोटे बच्चों को भी लोग पान खिलाते हैं। इसी दिन विभिन्न स्थानों पर शस्त्र पूजन का भी कार्यक्रम होगा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्थापना दिवस समारोह के अंतर्गत पूर्ण गणवेश में घोष पर स्वयं सेवकों का पथ संचलन का कार्यक्रम भी होगा। विजय पर्व पर विभिन्न स्थानों पर आतिशबाजी का कार्यक्रम होता है। विजय जुलूस में श्रीराम की शोभा यात्रा भी निकाली जाती है। Source:jagran
रफ़्तार 24 न्यूज़ की ओर से समस्त पाठकों को विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनायें
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