गोपाल गिरी। चारो तरफ आग और जमीन में दफ़न जिस्म साथ ही बाहर निकले सिर पर रखा इस्पात का बर्तन जिसमे तपते शोले हठयोगी बाबा के इरादों को डिगा नहीं पा रहे है /ये तस्वीर है ब्रह्मबाबा स्थान की जहा अंतर्वेद जंगल से आये एक हठयोगी बाबा ने जिन्होने नवरात्री में हठयोग का अनोखा तरीका निकाला है जिस्म को जमीन के भीतर दफ़न कर बाबा पिछले तीन दिन से लगातार जमीन पर खडे है / खाने के नाम पर महज एक चम्मच दूध के सहारे चल रहे बाबा जिनको देखने के लिए लोगो की भीड़ लगातार पहुच रही है अब तक दर्जनों मंदिरों का निर्माण करा चुके बाबा इस स्थान पर विराट मंदिर बनाने का संकल्प के चुके है/हठयोग में बाबा ग्यारह दिनों तक जमीन में ही दफ़न रहेगे इनका मानना है ऐसा करने से जहा धर्म का प्रचार होगा वही मंदिर बनाने के लिए कुछ पैसे भी जुट जायेगे / इन अनोखे बाबा को देखने के लिए भारी संखया में इलाकाई लोग पहुचने लगे है/ भक्तमई माहोल में जयकारो की गूंज के बीच बाबा के ताप की राख स्राधालुओ में बाटी जा रही है जिससे लोगो का कल्याण हो सके /किसी मेले की शक्ल ले चुका बाबा का यह स्थान जहा बच्चे महिलाए पुरुष सभी स्रध्धा भक्ति से सराबोर होकर वापस जा रहे है /
वी -ओ-1- लखीमपुर खीरी के तहसील धौरहरा के पलिया गाँव में चल रहा अनोखे बाबा का हठ योग जहा लोग आद्रश्य शक्तियों का दीदार करने पहुच रहे है जमीन में दफ़न बाबा जिनका सर तो बाहर दुनियावी चीजे देख रहा है वही जिस्म जमीन में दफ़न है तीन दिन से एक पैर पर खडे बाबा का इरादा ग्यारह दिन तक इसी मुद्रा में खडे रहने का है वो भी बिना अन्न जल के लिहाजा बाबा के इस योग को देखने के लिए लोग पहुच रहे है/ स्राध्धा से पूजा जा रहा ब्रह्मबाबा का यह स्थान यहाँ पर की जा रही अनोकी साधना को लोग अचरज से देख रहे है
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