लखनऊ। आधुनिक युग में पढ़ाई का दबाव इस कदर बच्चों पर हावी है कि वह अपनी जान तक देने को तैयार हो जाते हैं। राजधानी के निगोहां इलाके में रहने वाले आनन्द कुमार पाण्डेय की बीस वर्षीय बेटी मंशा ने पढ़ाई के दबाव में फांसी लगाकर आत्म हत्या कर ली। उधर महानगर में में एक कपड़ा व्यवसायी के घर काम करने वाली नौकरानी ने भी फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।
महानगर के वायरलेस चौराहे के निकट स्थित मल्हार अपार्टमेंट में मयूर गर्ग रहते थे जिनके घर झारखण्ड की सुनीता(30) नौकरानी का काम करती थी। सुनीता के साथ ही उसके गांव की एक अन्य लड़की भी काम करती थी। सुनीता मयूर के घर में बने स्टोर रूम में रहती थी। बीती रात सुनीता ने स्टोर रूम में लगे पंखे में दुपट्टे के सहारे लटक कर अपनी जान दे दी। सुबह सुनीता जब काफी देर स्टोर रूम से बाहर नहीं निकली तो स्टोर रूम का दरवाजा खटखटाया गया पर कोई जबाव नहीं मिला। मयूर ने इसकी सूचना पुलिस को दी।
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्टोर रूम का दरवाजा तोड़ा तो देखा कि सुनीता का शव पंखे के सहारे लटक रहा था। छानबीन के बाद भी पुलिस को मौके से ऐसा कुछ भी बरामद नहीं हुआ जिससे यह पता चल सकता कि आखिर सुनीता ने आत्म हत्या क्यों की। पुलिस ने सुनीता के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। सीओ महानगर संजय कुमार ने बताया कि सुनीता मयूर गर्ग के घर एक माह से काम कर रही थी। दूसरी ओर निगोंहा के कुरहिया गांव निवासी राजस्व विभाग कर्मचारी आनन्द कुमार पाण्डेय की बेटी मंशा पाण्डेय(20) ने बीती रात कमरे में लगे पंखे से दुपट्टे के सहारे लटक कर अपनी जान दे दी। सुबह जब परिवार के लोग सोकर उठे और मंशा के कमरे में देखा तो उनके होश उड़ गए। मंशा का शव छत से लटक रहा था। पुलिस ने घटना की छानबीन करनी शुरू कर दी है। पुलिस ने बताया कि मंशा रायबरेली के बछरावां स्थित एक कालेज में बीए तृतीय वर्ष की छात्रा थी। पुलिस के अनुसार मंशा ने पढ़ाई के दबाव के चलते आत्महत्या की है। मंशा के परिजन भी यही बता रहे हैं जबकि पुलिस आत्महत्या की अन्य संभावित वजहों को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहती है।Source:oneindia
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