Wednesday, 31 October 2012

"खाप पंचायतों जैसा बर्ताव न करें सेना"


 

बेंगलूरू। कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि सेना को खाप पंचायत जैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एक युवा अधिकारी के एक श्रीलंकाई महिला से शादी करने पर रोक लगाने को लेकर यह टिप्पणी की। यह अधिकारी इस महिला से प्यार करता है।


बेंगलूरू की 29 साल की छात्रा से शादी करने का मेजर विकास कुमार के ख्वाब पर सेना ने पानी फेर दिया। सेना ने मेजर के एक विदेशी से संपर्क में आने के पीछे के कारणों को जानने के लिए जांच का आदेश दे दिया। सेवा नियम अधिकारियों को विदेशियों से विवाह की इजाजत नहीं देते इसलिए इस मेजर ने नौकरी छोड़ने की इच्छा जताई लेकिन उसके कमांडारों ने स्टाफ की कमी का हवाला देते हुए उसे रिलीव करने से इनकार कर दिया। इस पर विक्रम ने कोर्ट की शरण ली।


चीफ जस्टिस विक्रमजीत सेन की बेंच ने मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा सिंगल जज बेंच के मेजर विकास कुमार के पक्ष में दिए फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।


सरकारी वकील के तर्को से नाखुश जस्टिस सेन ने कहा,यह खाप पंचायत नहीं है,यह सेना है। हम सेना के रूख का मतलब नहीं समझ पा रहे हैं। यह उस व्यक्ति के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। देश के एक राष्ट्रपति ने भी एक विदेशी से शादी की थी ( के. आर. नारायणन ने म्यांमारी मूल की माटिंट से शादी की)। राष्ट्रपति सशस्त्र सेनाओं का कमांडर इन चीफ होता है।


मेजर कुमार ने इस साल जून में कानूनी लड़ाई का पहला दौर जीता। सिंगल जज बेंच ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। बेंच ने कहा कि सेना मेजर की उसे रिलीव करने की मांग को ठुकरा नहीं सकती क्योंकि वह एक विदेश से विवाह करना चाहता है। इस पर केंद्र सरकार ने इस फैसले को डिवीजन बेंच में चुनौती दी थी। 
Source:patrika

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