Friday, 26 October 2012

एक खास चिट्‌ठी इन्सानो के नाम...

अल्लाह बड़ा महरबान (कृपाशील) रहम (दया) वाले के नाम से यह चिट्‌ठी है अल्लाह के और उसके नबीह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की और से (रोम के राजा के नाम) उस आदमी पर सलाम हो जो दिायत (मार्गदर्शन) की पैरवी (अनूसरण) करे इसके बाद स्पष्ट हो कि मै तुम को इस्लाम (ईश्वर के आदेशों के पालन) की और बुलाता हूँ। इस्लाम (ईश्वर के आदेशों का पालन) कबून करोगे तो ईश्वर की यातनाओं से बच जाओगे, और ईश्वर तम्हे तूम्हारा सवाब (पुण्य,रिवार्ड)  दुगना कर देगा, और अगर तुम मेरी दावत (अमत्राण) से मुंह पफेरोगे ता बेशक तुम पर तुम्हारी सारी प्रजा के इमान न लाने का गुनाह(पाप) होगा, और फ्ऐ किताब वालो (यहूद, इसाई और दिगर मजहब) एक एसी बात की ओर आओ जा हमारे और तुम्हारे बीच पाई जाती है यानी यह कि हम और तुम अल्लाह (एक ईश्वर) के सिवा किसी की इबादत (उपासना)  न करें। और उसका किसी को साझीदार न ठहरावें (ईश्वरीय गुणों जैसा किसी दूसे को ना माने)। और न हम में से कोई किसी को अल्लाह (एक ईश्वर) के सिवा रब न बनाए। अल्लाह ताआला पफरमाता है कि पिफर अगर किताब वाले (यहूद, इसाई और दिगर मजहब) इससे मुंह मोड े तो तुम कह देना कि इस बात के गवाह रहो कि हम तो अल्लाह (ईश्वर)  की इबादत करने वाले हैं।य् (कुरान मजीद- सूराह-३ अयत-६४)

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