किसी ने सच कहा है इश्क में इंसान बर्बाद हो जाता है। जिस प्यार की खातिर दुनिया को ठुकरा दिया। आज उसी के कारण मैं तन्हा हूं। पल पल की तड़प में जैसे जल रहा हूं। मौत का भी इंतजार है और उसका भी। सोचा उसे भूल
जाउंगा। जिसे मेरी जरा भी परवाह नहीं मैं क्यू उसे याद करके पल पल मरू।
फैसला पक्का हो चुका था। अब लौट के दोबारा उसकी तरफ नहीं देखना था। कई दिन, महिने, साल बीत गए। फिर एक दिन उसका एसएमएस आया। थोड़े दिन में काॅल करने का वादा किया। सोचा अब नहीं करूंगा उससे बात। पर जैसे दिल में तो आज भी वही इंतजार था। उसके लौट आने का यकीं था।
वो दिन भी आया उसका काॅल आया। उसने पिछली सभी बातों की माफी मांगी। और फिर जैसे मेरी सारी बातें रेत के महल की तरह ढह गई। दिल में बेइंतहा दर्द था। पर उससे कोई शिकायत नहीं की। सोचा अगर उसे अपने किए पर पछतावा है तो इससे बड़ी क्या बात है। वैसे भी प्यार तो एक बार ही होता है और वो मेरा पहला और आखिरी प्यार है।
सब कुछ पहले जैसा हो गया। घंटों बातें होने लगीं। मैं पिछली सारी बातों को भूल गया। बस अब उसे बेइंतहा प्यार करना चाहता था।
लेकिन वक्त को शायद कुछ और ही मंजूर था। या सच कहूं तो शायद उसे कुछ और ही मंजूर था। उसने फिर वही किया बिना कुछ बताए मुझसे बात करना बंद कर दिया। मैेने बहुत कोशिश की उससे बात करने की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आज मैं फिर उसी मोड़ पर खड़ा था। किसी से कुछ कह भी नहीं सकता था।
फिर एक बार फैसला लिया कि उसे भूल जाउंगा। अब कभी उसका इंतजार नहीं करूंगा। एक साल बीत गया। मुझे लगा शायद मैं उसे भूल चुका हूं।
लेकिन फिर उसका काल आया। सोचा नहीं करूंगा बात तोड़ दूंगा यह रिश्ता हमेशा के लिए। लेकिन बहुत कोशिश के बाद भी हिम्मत नहीं जुट पाया। और फिर से वो मेरी जिंदगी में आ गयी। उसने वादा किया कि अब चाहे जो हो जाए अब कभी वह मुझसे दूर नहीं जाएगी। मैंने भी उसके वादे पर एतबार कर लिया। शायद मेरी सबसे बड़ी गलती यही है कि मैं उसे हर बार माफ कर देता हूं।
कई महिने तक बातचीत चलती रही। कभी कभी लगता जैसे वो भी मुझे बहुत प्यार करती है। लेकिन एक दिन उसने मुझसे कहा कि अब हम कभी बात नहीं करेंगे। मेरी जैसे दुनिया ही लुट गयी हो। उस दिन मैं पहली बार किसी के सामने रोया। बस ऐसा लगा कि मैं मर जाउंगा। उसे बहुत समझाया तो वह मान गयी। मैंने नहीं पूछा कि क्यों उसना ऐसा किया। पर पता नहीं क्यों अब उसपर एतबार करने का मन नहीं कर रहा था। थक चुका था झूठे वादे सुन सुन कर।
उसने मुझसे फिर बात करना बंद कर दिया। आज मैं फिर तंहा हूं। क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा। मैंने उपर जो कुछ लिखा अपने दिल से लिखा है। जिसकी एक एक बात सच्ची है। मैं अपना नाम तो नहीं बता सकता, मेरी अपनी कुछ मजबूरीयां हैं। प्लीज मुझे बताए मैं क्या करूं?
जाउंगा। जिसे मेरी जरा भी परवाह नहीं मैं क्यू उसे याद करके पल पल मरू।
फैसला पक्का हो चुका था। अब लौट के दोबारा उसकी तरफ नहीं देखना था। कई दिन, महिने, साल बीत गए। फिर एक दिन उसका एसएमएस आया। थोड़े दिन में काॅल करने का वादा किया। सोचा अब नहीं करूंगा उससे बात। पर जैसे दिल में तो आज भी वही इंतजार था। उसके लौट आने का यकीं था।
वो दिन भी आया उसका काॅल आया। उसने पिछली सभी बातों की माफी मांगी। और फिर जैसे मेरी सारी बातें रेत के महल की तरह ढह गई। दिल में बेइंतहा दर्द था। पर उससे कोई शिकायत नहीं की। सोचा अगर उसे अपने किए पर पछतावा है तो इससे बड़ी क्या बात है। वैसे भी प्यार तो एक बार ही होता है और वो मेरा पहला और आखिरी प्यार है।
सब कुछ पहले जैसा हो गया। घंटों बातें होने लगीं। मैं पिछली सारी बातों को भूल गया। बस अब उसे बेइंतहा प्यार करना चाहता था।
लेकिन वक्त को शायद कुछ और ही मंजूर था। या सच कहूं तो शायद उसे कुछ और ही मंजूर था। उसने फिर वही किया बिना कुछ बताए मुझसे बात करना बंद कर दिया। मैेने बहुत कोशिश की उससे बात करने की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आज मैं फिर उसी मोड़ पर खड़ा था। किसी से कुछ कह भी नहीं सकता था।
फिर एक बार फैसला लिया कि उसे भूल जाउंगा। अब कभी उसका इंतजार नहीं करूंगा। एक साल बीत गया। मुझे लगा शायद मैं उसे भूल चुका हूं।
लेकिन फिर उसका काल आया। सोचा नहीं करूंगा बात तोड़ दूंगा यह रिश्ता हमेशा के लिए। लेकिन बहुत कोशिश के बाद भी हिम्मत नहीं जुट पाया। और फिर से वो मेरी जिंदगी में आ गयी। उसने वादा किया कि अब चाहे जो हो जाए अब कभी वह मुझसे दूर नहीं जाएगी। मैंने भी उसके वादे पर एतबार कर लिया। शायद मेरी सबसे बड़ी गलती यही है कि मैं उसे हर बार माफ कर देता हूं।
कई महिने तक बातचीत चलती रही। कभी कभी लगता जैसे वो भी मुझे बहुत प्यार करती है। लेकिन एक दिन उसने मुझसे कहा कि अब हम कभी बात नहीं करेंगे। मेरी जैसे दुनिया ही लुट गयी हो। उस दिन मैं पहली बार किसी के सामने रोया। बस ऐसा लगा कि मैं मर जाउंगा। उसे बहुत समझाया तो वह मान गयी। मैंने नहीं पूछा कि क्यों उसना ऐसा किया। पर पता नहीं क्यों अब उसपर एतबार करने का मन नहीं कर रहा था। थक चुका था झूठे वादे सुन सुन कर।
उसने मुझसे फिर बात करना बंद कर दिया। आज मैं फिर तंहा हूं। क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा। मैंने उपर जो कुछ लिखा अपने दिल से लिखा है। जिसकी एक एक बात सच्ची है। मैं अपना नाम तो नहीं बता सकता, मेरी अपनी कुछ मजबूरीयां हैं। प्लीज मुझे बताए मैं क्या करूं?
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