आत्महत्या का मुख्य कारण Depression को चितवासाद आयुवेद में कहते है यह एक मनो - विज्ञानिक बीमारी है या मानसिक बीमारी है , इस प्रकार के लोग ज्यादा भऊक होते है ,छोटीसी चिंता इन के मन में तनाव करदेती है
जयसे १) बॉय फ्रेंड और गर्ल फ्रेंड में तनाव २) एक्साम में फ़ैल होना ३) घर में बीमार या मृत्यु होना ४) माता - पिता का तलक ५) स्कूल बदलना ६) बचपन की दुखी यादे जसे डर , नेगलेक्ट ७) तलाक,दोस्त की मृतियु, नोव्कारी जाना ८) अकेलापन बुजूर्गोका ९) पारवारिक और सामाजिक वातावरण ,उच्च तानावाक जीवन अवस्था जसे गरीबी ,घर विहीन , हिंसक रिश्ते , सामाजिक हिंसा १०) हाई ब्लड - प्रेस्सर , लम्बी बीमारी ,नींद में रुकावट
जयसे १) बॉय फ्रेंड और गर्ल फ्रेंड में तनाव २) एक्साम में फ़ैल होना ३) घर में बीमार या मृत्यु होना ४) माता - पिता का तलक ५) स्कूल बदलना ६) बचपन की दुखी यादे जसे डर , नेगलेक्ट ७) तलाक,दोस्त की मृतियु, नोव्कारी जाना ८) अकेलापन बुजूर्गोका ९) पारवारिक और सामाजिक वातावरण ,उच्च तानावाक जीवन अवस्था जसे गरीबी ,घर विहीन , हिंसक रिश्ते , सामाजिक हिंसा १०) हाई ब्लड - प्रेस्सर , लम्बी बीमारी ,नींद में रुकावट
ये लोग चिंता को मिटाने के लिए साराब , ड्रुस , नसे की गोलिया ,देंद्रीते का सहारा लेती है ,
आत्महत्या का आयुवेदिक द्रिस्तिकोंन
१) कफ , पित और वात का असंतुलन २) खुद की अत्म्सक्ति से अनजान 3) अत्यधिक विसाद देप्रेस्स्न का कारण कफ कुपित (असंतुलन)
होकर पित और वाट को भी कुपित करता है और वे मस्तिस्क की रासायनिक क्रिया धीमा करते है इस से मन नकरात्मक सोचता है और ओ निरासा अवस्था में आजाता है , ये लोग हर काम,हर बात से निरास रहते है
लक्षण
- बेचेनी ,असान्ति ,चीड़चिड़ापण, नाटकीय ढ़ग से रूचि बदलना
- प्राय वजन बढ़ना - घटना ,एकाग्रता में ज्यादा कमी ,यादास्त बहूत कमजोर , ठीक से निर्णय नहीं करना
- निरंतर दुखी रहना , चिंता या भाव सून्य , थकावट या कमजोरी रहना
- अपराध बोध की भावना प्रबल होना , अयोग्यता ,निरासवादी , बेबसी ,स्वग्लानीता ,बिना कारण का दुखी ,
- निष्क्रियता या जरुरी कार्र्य से उदासीनता ,किसी भी कार्य में दिलचस्पी या उतसाह न रहना
- मौत या खुदकुशी के बारे में सोचना या कोशिस करना
- निरासब्रती या मन में कुछ न करनेका का अफसोस
कोई वेक्ति ये लछन से ग्रसित है तो संभवत व अवसाद ( देप्रेस्सेद ) है
उपचार
परामर्स - इस प्रकार के रोगी को परमर्सिक सहायता दे कर ठीक किया जा सकता है , जयसे भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन का अवसाद दूर किया यह अवसाद रोग का दुर्लाव उधारण है
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